सरसों की फसल पककर तैयार हो रही है l कुछ जगह अगेती सरसों की फसल की कटाई और गहाई का काम शुरू हो गया। स्थानीय कृषि मंडियों में सरसों की आवक शुरू हो गई है। सरसों की खेती के अनुकूल मौसम और खाद्यान्न तेल की बढ़ती स्थानीय मांग के कारण सरसों के उत्पादन क्षेत्र में लगातार बढ़ोतरी होती रही है। इस बार देश में रिकॉर्ड 87 लाख मीट्रिक टन सरसों का उत्पादन होने का आंकलन है। बाज़ार के जानकारों के अनुसार देश में अब तक केवल एक बार 72 लाख मीट्रिक टन सरसों का उत्पादन हुआ है। लेकिन इस बार इससे भी 15 लाख मीट्रिक टन ज्यादा सरसों का उत्पादन होने का अनुमान है ।
श्रीगंगानगर राजस्थान से प्राप्त जानकारी के अनुसार कृषि उपज मंडी में सरसों की आवक शुरु हो गयी है। कृषि उपज मंडी श्रीगंगानगर के बाज़ार के जानकारों के अनुसार सरसों की बोली 3400 रुपए प्रति क्विंटल पर लगी है । जबकि न्यूनतम समर्थन मूल्य या MSP 4200 रुपए प्रति क्विंटल है। सरकार 1 अप्रैल से सरसों की खरीदी शुरू करेगी। तब तक किसानों को भारी घाटे का सामना करना पड़ेगा। किसान संगठनो की मांग है की प्रत्येक किसान से 40 क्विंटल सरसों की सरकारी खरीद होनी चाहिय । एक आंकलन के के अनुसार राजस्थान में 35 लाख मीट्रिक टन सरसों का उत्पादन होने का अनुमान है । मौषम में ठंडक रहने के कारण सरसों का पकाव राजस्थान में अच्छा और उत्पादकता बढ़ने की संभावना है।
बाजार के जानकारों के अनुसार सरकार को सरसों के बम्पर उत्पादन को हेंडल करने के लिए दोहरी योजना बनाने की जरुरत है । सबसे पहले पाम आयल व अन्य खाद्य तेल के आयत पर ड्यूटी बढानी चाहिए जिससे प्राइवेट कम्पनीज की तरफ से सरसों की स्थानीय मांग बढ़ जाएगी तथा सरसों MSP से नीचे स्थानीय बाज़ार में नहीं बिकेगी। लेकिन चुनाव की आदर्श आचार संहिता लगी होने के कारण केंद्र सरकार ऐसा नहीं कर सकती । बाज़ार से प्राप्त जानकारी के अनुसार डॉलर के मुकाबले रुपया मजबूत होने से खाद्य तेल के आयात सस्ते पड रहे है। डॉलर के मुकाबले रुपया पिछले सात महीने के ऊपरी स्तर को छू चुका है। शुक्रवार को एक डॉलर की कीमत 69.10 रुपये रही।
किसानों ने तो सरसों का बम्पर उत्पादन करके अपना काम अच्छी तरह कर दिया । अब सरकार व सिस्टम की जिम्मेदारी है की उचित योजना बनाकर इस बम्पर उत्पादन की खपत को बढ़ाये ताकि किसानों व व्यापारियों को नुकसान न उठाना पड़े । सबसे पहले सरकार को योजना बनानी चाहिए की सरसों के बाज़ार भाव MSP से नीचे नहीं जाये । नहीं तो किसानों के लिए बम्पर उत्पादन एक सर दर्द बन कर रह जायेगा । सरकार को सरसों का बल्क निर्यात भी खोलना चाहिए ताकि सरसों का स्टॉक स्थनीय बाज़ारों से जल्दी से जल्दी कम हो । अभी तक सरकार ने सरसों को छोड़ कर सभी खाद्य तेलों के बल्क निर्यात को मंजूर दे दी है । अभी तक सरसों का निर्यात 5 किलो की रिटेल पैकिंग में व कम से कम 900 डॉलर प्रति टन के भाव पर निर्यात करने की अनुमति है ।
इस सप्ताह NCDEX पर सरसों के भाव 16 अप्रैल के सौदे के लिए 3737 रूपए प्रति क्विंटल, NCDEX पर स्पॉट के भाव 3810 रूपए प्रति क्विटल l इसी तरह NCDEX पर 20 मई के सौदे के लिए 3772 रूपए प्रति क्विंटल, स्थानीय मंडियों में सरसों के भाव 3400-3500 रूपए प्रति क्विटल के आस पास चल रहे है l किसानों को सरसों की सरकारी खरीद के लिए आवश्यक कार्यवाही समय पर ही पूरी कर लेनी चाहिए ताकि उनका उत्पादन समय पर बिना किसी परेशानी के सरकारी खरीद में तुल जाये l
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