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Sunday 17 March 2019

क्या चना इस बार किसान को कमाई देगा ?

चना भारत में उगाये जाने वाली महत्वपूर्ण दलहनिया फसल है. भारत में ज्यादातर चना रबी के मौषम में राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, में लगाया जाता है. रबी के फसल के पूर्वानुमान के अनुसार इस वर्ष देश में में 10.50 मिलियन मीट्रिक टन चना का उत्पादन होने का अनुमान है जो की घरेलु खपत के लिए प्रयाप्त नहीं है l बाज़ार में तेज़ी मंदी के बारे में अलग अलग धारनाएं है l कुछ फंडामेंटल फैक्टर तेज़ी की और इशारा करते है कुछ फैक्टर चने को मंदी में ही रहने की और इशारा करते है l 

केंद्र सरकार ने घरेलु चना के किसानो को बचाने केलिए चना के आयत पर 60 % आयात शुल्क लग दिया है जो की घरेली बाज़ार के लिए एक अच्छा संकेत है l प्राप्त जानकारी के अनुशार इस वर्ष ऑस्ट्रेलिया में चने का उत्पादन पिछले सालो से कमजोर है साथ में उच्च आयात शुल्क के कारण चने के आयत में मुनाफा भी नहीं है.


मटर चना की जगह काम आने वाला उत्पाद है त्योंहारो के सीजन में मटर की खपत चने की जगह बढ़ जाती है चना की दाल, चना बेसन की जगह मटर की दाल व मटर का बेसन काम में लिया जाता है सरकार ने मटर के आयत पर भी 50% तक आयत शुल्क लगा रखी है साथ में मटर के आयत पर भी सरकार ने हाल में प्रतिबन्ध लग रखा है l मटर का भाव ऊँचा होने के कारण चना की स्थानीय खपत बढ़ने की आशंका है 

लोकसभा चुनाव के मध्य नजर सरकार किसानो की आय को बढाना चाहती है ऐसे में आयात पर नियंत्रण वाली परिस्थितियों में बदलाव होने की आशंका नहीं है l साथ में सरकार ने राजस्थान व मध्य प्रदेश में लोक सभा चुनाव से पहले 15 लाख टन चना MSP भाव पर खरीदने का निर्णय लिया है l इस समय चने का MSP 4620 रूपए प्रति क्विंटल के आस पास चल रहा है सरकार द्वारा MSP पर खरीदी से स्थानीय बाजरों में चने के भाव को अच्छी मजबूती मिलने की उम्मीद है 

ऊपर वाले कारको के विपरीत दुसरे कारक देखते है तो पता चलता है की नाफेड, जो की चना खरीदी की अग्रणीय सरकारी संस्था है, उसके पास पिछली सालों का बड़ा स्टॉक है l साथ में नाफेड बाज़ार से खुली बोली द्वारा कम दाम पर स्थानीय बाजार में चना की आवक बधा रहा ह l सरकार के पास स्टॉक में रखा चना ख़राब होने लगा है जिससे सरकार इस माल से छूटकारा पाना चाहती है l

अभी चना व बेसन की मांग कम चल रही है जिससे भाव तेज़ी नहीं पकड़ रहे l साथ में अगल 15-20 दिनों में रबी के चना की नयी आवक बज्र में बढ़ जाएगी l नोट बंदी के बाद बाज़ार में नगद पैसे की कमी जिससे नए चने की खरीदी नहीं होगी व आवक का दबाद चने के भावो पर रहेगा l वितवर्ष की सम्पति होने के कारण व्यापारी नए सौदे से बच रहे है l जिससे मार्च अप्रैल में चने की बाज़ार की मांग कम रहेगी l

इन सब से अलग सरकार की चना की आयत निर्यात की पालिसी अनिश्चित है. पीछे कुछ व्यापारियों ने कोर्ट की शरण लेली थी जिससे आयत पर विपरीत असर पड़ा था l आगे लोकसभा के चुनाव भी है मई में बनने वाली नयी सरकार के नीतिया क्या रहेगी किसी को नहीं पता l इससे व्यापारी बड़ी खरीदी से बच कर चल रहे है l

उधर राजस्थान में चुनाव आयोग ने निर्णय लिया है की चुनाव के बावजूद चना व सरसों की खरीदी जारी रहेगी l चने की खरीदी के लिया आवश्यक टेंडर सरकार जरी कर सकती है l सरकारी एजेंसी राजफैड चना खरीदी के लिए किसानों का राजिस्ट्रेसन ई मित्र के द्वारा कर रही है . सरकारी खरीदी के लिए के लिए किसानो के पंजीयन की प्रक्रिया 13 मार्च से चालू है

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