तुहर या अरहर भारत की एक प्रमुख दलहनी फसल है। विश्व का 65 % तुअर का उत्पादन भारत में होता है तथा भारत का 80% उत्पादन 6 राज्य महाराष्ट्, मद्य प्रदेश, कर्नाटका, यूपी गुजरात व झारखण्ड से आता है। तुहर या अरहर की नयी फसल की आवक बाज़ार में शुरू हो गयी है । मद्यप्रदेश व महारष्ट्र की मंडियों में तुहर की नयी फसल आ रही है। इस महीने में तुहर के भाव में गिरावट देखी गयी है ।
इस वर्ष भारत में खरीफ 2018 में तुहर की बुवाई 45.82 लाख हक्टेयर क्षेत्र में हुयी थी । जो कि पिछले साल के बराबर ही थी । लेकिन कमजोर व बिखरे हुए मानसून के कारण तूहर की फसल को भारी क्षति पहुंची। बाज़ार के जानकारों के अनुसार तूहर का उत्पादन इस वर्ष 50-55% ही रहने का अनुमान है। अगर पिछले वर्ष के आंकड़ो से आंकलन निकाले तो इस वर्ष तुहर का उत्पादन मात्र 20-22 लाख मेट्रिक टन होने की उम्मीद है।
नाफेड के पास तुहर का पुराना स्टॉक 5.75 मीट्रिक टन के आस पास था । वर्ष 2018 की खरीदी का नया स्टॉक 1.87 लाख मीट्रिक टन है । इस तरह नाफेड के पास तुहर का कुल स्टॉक 7.62 लाख मीट्रिक टन के आस पास है । तुहर की घरेलु खपत 32-34 लाख मीट्रिक टन के आस पास रहती है जन्हा तक आयत का सवाल है इस वर्ष तुहर का आयत 3 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा नहीं है । तकरीपन 3 लाख टन के आस पास घरेलु व्यापारियों व फेक्टरियों के पास तुहर का स्टॉक है ।
इस तरह सारे माल को जोड़ दे तो इस वर्ष 31-34 लाख टन के आस पास तुहर की उपलब्धता बाज़ार में रहने की उम्मीद है । तुहर की उपलब्धता व खपत में कोई ज्यादा अंतर नहीं है परन्तु इसमे से नाफेड का 5.75 मीट्रिक टन का पुराना स्टॉक निकाल दे तो उपलब्धता 25-28 लाख मीट्रिक टन की रह जाती है। इससे उपलबध्ता व मांग का बैलेंस बिगड़ सकता है। ऐसी परिस्थिति में तुहर का बाज़ार भाव नाफेड की खरीदी व बिक्री निति पर निर्भर करेगा ।
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इन सब के अलावा मार्च एंड में व्यापारी नयी खरीदी से बच कर चलते है। लोक सभा के चुनाव व नयी सरकार की अनिश्चितता में सरकार की पालिसी अभी तय नहीं है जिससे व्यापारी तुहर की खरीदी में ज्यादा हाथ डालने से बच कर चलेंगे । साथ में कैश पैसे की तंगी के कारण तुहर के भाव मार्च, अप्रैल व मई में 4500-5000 की रेंज में ही रहने की उम्मीद है, इसी बीच नाफेड तुहर की कोई खरीदी या बिक्री का निर्णय लेता है तो मार्किट में तुहर के भाव की चाल बदल सकती है ।